Ek ajnabi ko Pati banaya

मेरा नाम यौवन है, मैं हु तो आदमी लेकिन मैं एक hermaphrodite हु. hermaphrodite ही याने
जिसे लंड और योनी भी होती है साथ ही में स्तनों के उभार भी होते है. यह बात किसी को मालूम नही थी सिवाय मेरे मेरे पेरेंट्स अब वो भी गुजर गए. अब तो मैं अकेला ही हु.

hermaphrodite के बारे में नेट पे देखो।

वैसे तो मेरा रहना सहना नॉर्मल ही था लेकिन थोड़ा महिलो के जैसे भी था। तो आगे बढ़ते है।

जैसे के मैने आप को कहा मेरी उम्र ४५, मै एक hermaphrodite हु, hermaphrodite ही याने
जिसे लंड और योनी भी होती है साथ ही में स्तनों के उभार भी होते है। मैं अपने स्तनों के उभारोको टाइट pad से बंद करता ताके किसीको पता ना चले। मै हमेशा एक पगड़ी पहनता था क्यों के मैने मेरे बाल लड़कियों जैसे लंबे रखे थे।
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बचपन से ही मुझे अंदर से लड़कियों की फीलिंग थी, मुझे कभी लगा ही नहीं के मैं एक लड़का हु।

अब तो मैं अकेला ही रहता था, मेरा तो खुद का साड़ीयो का दुकान है अच्छा खासा है। जब मैं घर होता था तब मैं अपनी पगड़ी उतार के मै अपने बालो को फ्री करता और
लड़कियों के कपड़े ही पहनता था। कभी ब्रा, निकर, साड़ी, ब्लाऊज, पेटीकोट पहने ही घर रहता था। जब मैं किसी आदमी को देखता तो मेरे अंदर कामवासना जाग जाती, मैं दिनमे दुकान में भी सपने देखता की ये आदमी मुझे कैसे चोदेगा, वैसे तो मेरा लंड कमजोर ही था। मै हमेशा यह चाहता था के कोई मुझे चोदे, लेकिन इसका इजहार किसे और कैसे करू ये समझ में नहीं आता था।

तो मेरा रहना सेहना तो नॉर्मल था, लेकिन मेरे बात करने में थोड़ी लड़कियों की झलक थी, लोगो के लिए ये नोर्मल था, उन्हे ऐसा लगता था के सालो से साड़ी के धंधे में होने के कारण काफी सारे महिलों के साथ बात करते करते थोडा तो चेंज होगा ही बर्ताव में।

तो आगे बढ़ते है, मेरा घर एक गली के कोने में ही था थोड़े ही आगे एक चाय वाला भी था। मेरा हमेशा आना जाना चलता था उसके पास, कई बार तो मैं घंटों बैठता था उसके पास। वो उस दुकान में ही रहता था, एक गला जैसे था, आगे दुकान उसमे ही पार्टिशन करके अंदर वो रह ता था।
अंदर खाली एक बाथरुम था। मेरे और गोपू में बात चीत भी होती थी। हां जी, उस चाय वाले का नाम गोपु था।
गोप अच्छा खासा तंदुरुस्त, छै फीट था, शरीर से एकदम तगड़ा आदमी था वो।

मुझे उसका नाम नही मालूम लेकिन लोग उसे गोपू नाम से ही बुलाते थे। वो एक तीस वर्षीय युवक था, उसका भी कोई नही था। सुना था के एक चाचा के साथ वो गांव से आया, फिर चाचा गुजर ने के बाद चाचा का की चाय की दुकान अब गोपू ही संभाल ता था।

जैसे के मैने आप को कहा गोपू और मेरे में बात चीत भी होती थी, बहुत ही अच्छा था वो मेरे साथ, कई बार तो वो मुझे फ्री में स्पेशल चाय पिलाता था। मै रोज सुबह करीब ७.३० बजे उसके दुकान में जाता था चाय पीने कभी कभी तो ६.३० को भी। मेरा हमेशा ध्यान होता के रोड साफ करने वाली ओरातो को वो हमेशा देखता रहता। लेकिन मुझे मालूम था के उसे कोई भाव नहीं देता था।
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एक दिन हुआ यू के मैं किसी पार्टी से सुबह जल्दी आया, ५ बजे थे सुबह के, मैं कैब में था घर के और जाहि रहा था तभी तभी मेरा ध्यान गोपू के दुकान पे गया, एक डीम लाइट जल रहा था। मैने सोचा अरे आज इतने जल्दी गोपू ने दुकान कैसे खोला। तो मैंने कैब को वही रोकने बोला सोचा देखे तो जाते जाते एखाद चाय पीके घर जाते है।

बाहर बारिश हो रही थी, मैं कैब से उतरा और गोपू के दुकान में गया, दरवाजा बंद था, मैने दरवाजा खट खटाया।
अंदर से आवाज आई “कोन है”
मैने कहा “मैं हु यौवन”
गोपू ने अंदर से ही कहा “साहब बाहर आजो”
मै अंदर गया, और एक कुर्सी पे बैठा, गोपू नहा रहा था।
गोपू ने कहा “अरे साहब आज आप इतने सुबह”
मैने कहा “हा गोपू, मैं कल रात बाहर था पार्टी के लिए तो अभी आया, देखा तो तेरे दुकान का लाइट चालू था इसलिए सोचा देखूं तो”
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गोपू नहाते ही बोल रहा था, “साहेब, वो tharmas में स्पेशल चाय है वो लेलो”
मैने कहा “ठीक है, लेकिन गोपू तुम इतने जल्दी नहाते हो”
फिर मैं चाय लेके चेयर पे बैठा।
गोपू ने कहा “साहब बाद में टाइम नही मिलता”
ओर गोपू खड़ा हो गया। वो जैसे ही खड़ा हुआ तो मेरा ध्यान गया, गोपू नंगा नहा रहा था। मै तिर्की नजर से देख रहा था गोपू का लंड काफी बड़ा मोटा और कला था, अच्छा खासा झूल रहा था। फिर भी गुप वैसे ही था। मै मेरे तिर्की नजर से देख ही रहा था तभी गुप ने भी मेरे तरफ देखा, हम दोनो ने एक दूसरे को देखा तो मुझे भी थोड़ी शर्म आई और मैं वहा से निकल गया।

मै मेरे घर आया लेकिन मेरे दिमाग में अब गोपू का बड़ा मोटा काला लंड ही था। मैने घर आके तुरंत ही लड़कियों के कपड़े पहने कोम लिया और उसका पिछला दंडा मेरे अगले निष्क्रिय योनी होल में डाला और एक स्क्रू ड्राइवर लेके अपने गांड में डालके anal masterbution करने लगा। या करते वक्त मेरे मुंह से गोपू का ही नाम आता था “Ohh गुप fuck me, fuck me hardar, please”
मै सोच रहा था, के उसदीन जब गोपू का लंड खड़ा भी नहीं था फिर भी इतना मोटा दिख रहा था अगर खड़ा होगा तो कितना होगा, यही सोच में मेरे मुंह से फिर से कामुक आवाजे आनी लगी ओह गोपू fuck mi, चोदो मुझे अपनी बीबी समाज लो मुझे, ohh डियर fuck mi”
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उसके बाद भी मेरा गोपू के दुकान पे आना जाना चलता था। गोपू और में एक दूसरे को हमेशा आखों आखों से देख ते थे। कई बार गोपू मेरी ओर कामुक नजर से भी देख ता था। तीन चार बार भी वोही हुवा मैं पार्टी से आके सुबह पाच बजे और गोपू का बड़ा मोटा काला लंड मुसे नहाते वक्त देख ने मिलता।

बाद में मैने ही सोचा, के मुझे ही कुछ करना होगा।
जुलाई का महीना था, चार पाच दिन बहुत ही बारिश हो रही थी, कोई घर से नही निकलता था। उस दिन सुबह मैं पार्टी से आया कैब से देखा तो गोपू की दुकान का डीम लाईट चल रहा था। मैने दरवाजा खट खटाया, गोपू ने अंदर आने कहा। मै हमेशा की तरह चाय लेके कुर्सी पे बैठा, गोपू मेरे साम ने नहा रहा था। इस वक्त तो गोपू मेरे साम ने नंगा खड़ा होके ही नहा रहा था।

गोपी ने और मैने एक दूसरे को देखा। में सीधा गया और दरवाजा अंदर से बंद किया, मुझे मालूम था के इतने सुबह भरी बारिश कोई नही आयेगा। फिर मैं बाथरूम गया, गोपू के ओर देखा और उसका लंड हाथ में लेके सहलाना शुरू किया। मेरे सहलाने से गोपू का कला लंड अच्छा खासा खड़ा हो गया। मैने मेरा शर्ट उतरा अंदर का स्तनों के पैड भी निकला तो वह देख के गोपू हैरान हो गया। मेरी छाती तो एकदम लड़कियों जैसी थी। मेरी छाती याने स्तन ही थे। गोपू थोड़ा डर के थरथराया।
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मैने कहा “गोपू, अरे डरो मत”
गोपू बोला “अरे साहब, आप की छाती तो लड़कियों जैसी है, आप को तो लड़कियों जैसे मस्त बॉल है”
मैने कहा “हा गोपू, एक बात बताऊं, किसी को बोलोगे तो नही”
हाउपू ने कहा “नही साहब जी, मैं किसी को नही कहूंगा”
मैने कहा “गोपू असल में बात यह है के मैं एक किन्नर हु”

मैने मेरी पैंट उतारी, गोपू का हाथ लेके नीचे लिया और कहा “यह देख गोपू, मेरा लंड, जो कितना छोटा है, आधे इंच का है वो भी खाली मूतने के लिए यह खड़ा नही होता, और ये देख मेरे लंड और गांड के होल के बीच की दरार या एक योनि है लेकिन यह निष्क्रिय है, मुझे ऊपर वाले ने लंड और चूत दोनो दी है।

यह देख ते ही, गुप ने मुझे तुरंत पकड़ा और मेरे होटों को किस किया। मैने भी उसका लंड लिया और चूसने शुरू किया, थोड़ी देर चूसा, तभी गोपूने मुझे खड़ा किया और उल्टा किया और अपना लंड मेरे गांड में घुसाने गया, तभी मैंने उसे तुरंत ही रोका। फिर से मैं नीचे बैठ के उसका लंड चूसना शुरू किया और उसका गाढ़ा वीर्य पी गया।

गुप नाराज था, मैने कहा “हा गोपू मैं सब दूंगा तुझे लेकिन यह नहीं”
गोपू ने कहा “फिर कहा, फिर कहा”
मैने कहा “तुम मेरे घर आना रात को”
फिर मैं मेरे घर चला गया, उस दिन बहुत बारिश हो रही थी, सब जग पे पानी था पूरे रास्ते पानी से भर गए थे, बाढ़ ही आई थी। मैने भी मेरा शॉप जल्दी बंद किया और आगया।
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उस दिन मैं शाम को गोपू के शॉप में गया, गली हमारी पूरे पानी से भर गई थी। फिर भी गुप लोगो को चाय दे रहा था।
मैने गोपी को कहा “गोपू तेरे दुकान में तो पूरा पानी घुस गया है, तू कहा रहेगा आज, एक काम कर तू आज मेरे ही घर आजा रात को रहने”

बाकी लोगों भी कहा “हा गोपू अंकल ने सही कहा आज रात तू इनके घर ही जाना” गोपू ने भी हा कह दी।

रात को करीब ११ बजे गोपू मेरे घर आया, बाहर तो बारिश हो ही रही थी, हमारी पूरी गली पानी से भर गई थी।

फिर मैंने और गोपू ने खाना खाया, मैने गोपू को कहा “गोपू नहा लो, ताके फ्रेश हो जाओ गे, और ये लूंगी भी पहन के बेडरूम मे बैठो और खाली वो टेबल लैंप चालू रखना, मैं आता हू”

मेरे बेडरूम मे बेड नही था, मैने गद्दी नीचे जमीन पे दाली थी, मैं तो वैसे ही सोता था। मैने भी फिर फ्रेश होके, ब्लाउज, साड़ी पहनी, बाल खुले किए अब तो मैं एक औरत ही लग रहा था। सब लाइट बंद किए।

मै बेडरुम में गया, और दरवाजे पे खड़ा होगया, मुझे साड़ी में देखते ही गोपू पागल हो गया, वो तुरंत ही उठ के मेरे सामने आके खड़ा हो गया। वो मुझे हाथ लगाने ही वाला था तभी मैंने उसे रोका कहा “गोपू थोड़ा धीरज रखो”
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फिर मैंने बाजू का ड्रावर खोला उसमे दो हार थे शादी वाले, एक हार मैने गोपू को दिया, दूसरा मेरे पास था।
मैने कहा “गुप ऐसे तो मैं तुम्हे हाथ लगाने नही दूंगा, पहले हम शादी करेंगे” फिर गोपू ने एक हार मेरे गले में पहनाया और मैने उसके गलेमे।

फिर गुप ने मेरा साड़ी का पल्लू उठाया, मुझे किस किया।
उसे रहा नही जा रहा था ये मैं समाज गया, तोंसोचा जो होना है वो होने दो।

गोपू ने अपना हाथ मेरे ब्लाउज में डाल के टर से मेरा ब्लाउज फाड़ दिया, तुरंत ही उसने मुझे गद्दी पे लिया।
मेरी साड़ी ऊपर की, मेरी निकर उतार दी, अपना मोटा काला लंड को थूक से भर कर मेरी गांड में चेप दिया।

उसका लंड इतना बड़ा था के उसके लंड का टिप मेरे गांड के होल को ब्लॉक कर रहा था। फिर मैंने भी मेरी थूक मेरे गांड को लगाई और कहा “गोपू जी, और थूको मेरे गांड के अंदर और पूरा चिप चीपा कर दो”
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गुप ने कहा “हा साहब, मै करता हु”

मैने कहा “गोपू जी, मैं ही आज से आप की पत्नी और मम्मी हु, तुम मुझे साहब ना बोलो”

अब गोपू ने भी मेरे गांड में थूका और फिर से कोशिश की, लेकिन मेरी गांड इतनी टाइट थी के उसके लंड का टिप नही जा रहा था।

फिर मैं सीधा लेट गया, साड़ी ऊपर करके मेरी गांड और लंड के बीच का होल दिखाते गोपी को बोला
“गोपू जी, यहां इस होल में आप का लंड डालो”
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फिर गोपू ने में मेरे निष्क्रिय योनि में डाला, ओर जोर जोर से पेलने लगा. उसे तो बहुत मजा आरहा था लेकीन मुझे नही क्यो के ना मेरा लंड उठता था ओर नाही मेरी चूत जिंदा थी।

थोड़ी देर में गुल भी बोर हो गया, लगता है उसे भी गांड चुदाई ही अच्छी लगती है, उसने मेरे पैर ऊपर किए, अपने लंड पे थूका, और फुल ताकद से अपना लंड मेरे गांड में पेल दिया। इस बार उसका लंड और मेरी गांड गीली थी इस लिए गोपू का कला लंड मेरे गांड में घुस गया।

मेरे मुंह से आवाज निकली “ohh गोपू जी, थोड़ा धीरे”
लेकिन गोपी कहा सुनता था, वो तो पूरे जोश में था.
गोपू बोला “यौवन, अब तो आप मुझे बीवी जैसे ही लगले लगे हो” मैने कहा “हा, गोपू तुम मुझे आज से अपनी बीवी समझ ना, चोदो मुझे, ohh ab मुझे भी मजा आरहा है, ohh गुप डियर fuck me, चोदा और चोदो मुझे”

गोपू का स्पीड बढ़ ते गया, धीरे धीरे गोपू मेरे ऊपर ही लेट के झटके देने लगा। उसका बड़ा मोटा काला लंड मैं मेरे गांड में महसूस करने लगा। उसके लंड से निकल ने वाले पानी और मेरी गांड में थूक के कारण मेरी गांड चिपचिपा गई थी, और पचाक पचाक आवाजे करने लगी थी।
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गोपू ने बोला “यौवन आप तो बहुत ही गोरे हो”
मैने कहा “हा गोपू जी, मैं गोरी और आप काले, आज तो मिलन होगा ही, चोदो और चोदो, आप के काले लंड से मेरी गोरी गांड फाड़ो गोपी जी”

ये सुनते ही गोपू में और जोश आके गोपू का स्पीड बढ़ ते गया, और एक आखरी ढके में गोपी का पूरा वीर्य मेरे गांड में घुस ने लगा।

गुप मेरे ऊपर ही गिर गया और शांति से लेट गया, में उसका गरम वीर्य मेरे गांड में महसूस करने लगा। गोपू मेरे ऊपर वैसे ही लेता था। उसके बड़े शहरी का वजन मैं महसूस कर रहा था।

मै इतना खुश था के आज मुझे असली औरत होने का अहसास गोपू के वजह से मिला, गुप कुछ देर वैसे ही पड़ा रहा, वो उठने गया लेकिन मैने उसकी गांड पकड़ी और वैसे मेरे ऊपर ही लेटने कहा।

रात को गोपू का लंड फिर से उठा, लेकिन इस बार उसने जोर से ठुकाई नही की, अपना बड़ा मोटा काला लंड मेरे गांड में डाल के सो गया, मैं उसका लंड महसूस कर रहा था, मुझे भी मजा आया।
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दूसरे दिन, सुबह हम दोनों साथ में ही नहाया। गोपू ने मेरे स्तनों को चूसना, दबाना शुरू किया, फिर से मेरी गांड में साबुन लगाके चोदना शुरू किया।

अब तो गोपू मेरे प्यार में इतना पागल हो गया के, वो बोला “यौवन, आज के बाद मैं शादी नही करूंगा, आप ही मेरी पत्नी हो” मैने कहा “हा गोपू ही, आज से मैं ही आप की पत्नी और मम्मी”

कई बार तो हमने मां बेटे का रॉलप्ले करके भी चुदाई की,

उसके बाद मैने गोपू के दुकान में भी जाके मेरी गांड और चूत छुड़वाई। अब तो मैं और गोपू एक दूसरे के लिए ही बने। वो मुझे बहुत प्यार करता ओर मैं उसे।

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