Meri Long hair wali behan ki chudai Part 3

फिर हम घर आने के लिए चल पड़े दीदी मुझसे थोड़ा आगे चल रही थी..मैने पीछी से दीदी की बॅक देखी उनके रेस्मी बालो जो पोनी टेल मे बाँधती थी उसमे से काफ़ी बाल बाहर आए हुए थे ..मानो कि वो दो लोगो के बीच हुए रगड़ मे आ गये हो . तभी मेरी नज़र दीदी की गर्दन के पिछले हिस्से पर गयी वाहा एक पिंक सा निशान पड़ा हुआ था..मानो किसी ने वाहा काटा हो..एक तो दीदी इतनी गोरी थी सो वो निशान और ज़्यादा उभर का नज़र आ रहा था..
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पूरे रास्ते मे मैं आसमंजस मे रहा. मैं ये ही सोच रहा था कि शायद दीदी सही बोल रही है..वो आदमी भी तो पॅंट की ज़िपार बंद करता हुआ ही बाहर आया था.शायद मेरा दिमाग़ खराब हो गया है..राज के साथ रह रह कर और वो सारे गंदी क्लिप्स देख कर ही मुझे ये गंदे खियाल आ रहे है.. कुछ देर बाद ही हम घर पहुच गये इस दोरान दीदी और मुझे मे कोई बात न हुई थी. रात को मुझे नींद नही आ रही थी रह रह कर बॅंक वाली घटना मेरे दिमाग़ मे चल रही थी.और कई अनसुलझे सवाल दिमाग़ मे आ रहे थे..
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और उनमे सबसे बड़ा सवाल ये था कि दीदी ने उस आदमी को रोका क्यो नही था…और क्या दीदी वकाई उस अंजान आदमी के साथ उस कमरे मे अकेली थी…पर एक बात पक्की थी जो भी हुआ था पता नही क्यू उसने मेरे अंदर वासना और हवस का एक बीज ज़रूर बो दिया था….ये सब सोचते सोचते ही अचानक मेरा हाथ मेरे अब तक खड़े हो चुके लंड पर चला गया ..ये सारी बाते सोच सोच कर मैं इतना गरम हो चुका था कि जैसे ही मैने अपने लंड पर हाथ लगाया उसमे से पानी निकल गया..
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और फिर मुझे नींद आ गयी. अगले दिन स्कूल के बाद मे राज के साथ साइबर केफे जा रहा था..के मुझे जोरो से पेशाब लगा…अछा हुआ कि साथ मे ही सरकारी टाय्लेट था सो मे उसमे गुस्स. गया.मैने अपना पॅंट की जिपर खोली और पेशाब करने लगा..तभी राज भी उधर आ गया और मेरे बराबर मे खड़ा होकर वो भी पेशाब करने लगा.. “आजा …आजा….अहह…याल्गार” वो अपना मूह उपर करता हुआ बोला. तभी अचानक मेरी नज़र उसके लंड पर चली गयी..बाप रे कितना बड़ा था उसका..ना चाहते हुए भी मैं उसके लंड का साइज़ अपने से कंपेर करने लगा. राज का लंड ढीला पड़ा हुआ
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था फिर भी वो इतना बड़ा लग रहा था..और इतना तो मेरा खड़ा होकर भी नही होता होगा..तभी राज ने मुझे अपने लंड की तरफ़ घूरते हुए देख लिया.. “क्यू कैसा लगा…गन्दू” वो मुझे चिड़ाता हुआ बोला. मैने कोई जवाब नही दिया और अपने पॅंट की ज़िप बंद करने लगा..”. “अबे बोल ना…बड़ा है ना…साले इस पर तो लड़किया मरती है” वो हस्ते हुए अपने लंड से पिशाब की बची कुछ बूंदे झाड़ता हुआ बोला. .ये चुदाई की कहानी आप Dailytoon.in मे सुन रहे हो…
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हम टाय्लेट से बाहर निकले ही थे के मुझे लगा कोई मुझे बुला रहा है. मैने पीछे मूड कर देखा तो पाया कि अंजलि दीदी मेरी तरफ़ आ रही थी.उन्होने आज ब्लू जीन्स और ग्रीन टॉप पहना था..हालाकी वो ज़्यादा जीन्स वागरह नही पहनती थी पर कभी कभार चलता था. “क्या बात है..साले तू तो छुपा हुआ रुस्तम निकला …कोन है ये.आइटम” राज दीदी को घूरता हुआ बोला.मुझे बड़ा गुस्सा आया राज पर. पर गुस्से को मैं मन मे ही दबा गया
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“मेरी दीदी है…प्लीज़ उनको आइटम मत बोल…” मैने चिढ़ते हुए जवाब दिया . दीदी अब हमारे पास आ चुकी थी.उनके पास आते ही उनके बदन पर लगी डेयाड्रांट की खुसबु मैं महसूस कर सकता था. “कहा जा रहा है ..और ये श्री मान कोन है” दीदी राज की तरफ़ देखते हुए बोली. मैं कुछ बोलता इससे पहले ही राज आगे बढ़ा और अपना हाथ आगे कर बोला..”जी..जी मेरा नाम..राज शर्मा है.मैं इसका दोस्त हू. दीदी ने भी रिप्लाइ मे अपना हाथ आगे बढ़ा दिया.
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“ओके नाइस टू मैंट यू राज” दीदी राज से हाथ मिलाती हुई बोली. मैने देखा राज की नज़रे अब सीधी दीदी के बूब्स पर थी.टॉप्स की उपर से दीदी के बूब्स की गोलाइया काफ़ी आकर्षक लग रही थी.शायद दीदी ने भी राज को अपने बदन का मुआईना करते हुए देख लिया था. वो थोड़ा सा शर्मा गयी. “दीदी मे साइबर केफे जा रहा था..स्कूल के कुछ असाइनमेंट्स बनाने है” मे बोला. “अच्छा चल ठीक ..है जल्दी घर आ जाना..मुझे तेरी थोड़ी हेल्प चाहिए आज” दीदी बोली
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मैने हा मे सिर हिलाया. “आप फिकर ना करे दीदी मैं इसको खुद ही घर छोड़ दूँगा” राज दीदी की आँखो मे देखता हुआ बोला और अपना हाथ फिर से हॅंडशेक के लिए बढ़ा दिया. “थॅंक्स यू राज” दीदी ने भी अपना हाथ आगे बढ़ा दिया. “और हा दीदी ..अगर मुझसे कोई हेल्प चाहये तो ज़रूर बताना” ये बोलते हुए राज ने दीदी के हाथ को हल्का सा दबा दिया.ये सब इतना जल्दी हुआ कि शायद दीदी भी ना समझ पाई थी.
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फिर दीदी मूडी और घर जाने लगी .राज जींस के उप्पर से अंजलि दीदी के सुडौल और उभरे हुए चोतड़ो को देख रहा था.और अपने एक हाथ से अपने लंड को खुज़ला रहा था.ये देख मेरे दिल मे एक कसक सी उठी..ना जाने क्यू ? साइबर केफे मे उसने मुझसे दीदी के बारे मे कई क्वेस्चन्स पूछे..मुझे ये सब अच्छा नही लग रहा था..राज एक बिगड़ा हुआ और आवारा लड़का था…बाद मे वो मुझे घर भी छोड़ने आया..हालाँकि मैं उसे अपना घर नही दिखाना चाहता था पर मेरे ना चाहने के बाद भी वो मेरे घर तक आ गया था.वो तो घर के अंदर भी आना चाहता था पर मैने उसको कोई बहाना मार कर बाहर से ही चलता कर दिया.
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मैं घर के अंदर घुसा.तो देखा..चाचा जी घर आ चुके है और टीवी पर न्यूज़ देख रहे थे. चाची किचिन मे खाना बना रही थी. “आज बड़ी देर लगा दी..स्कूल से आने मे” चाचा जी चाइ की चुस्की लेते हुए बोले. मैने उनके पैर छुए और बोला ” स्कूल के काम से साइबर केफे गया था चाचा जी”. “अरे भाई तुझे अंजलि पूछ रही थी..पता नही क्या काम है “.वे बोले. “दीदी कहा है ..” मैने पूछा
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“उपर रूम मे जा पूछ ले क्या काम है” चाचा जी बोले. मैं उप्पर रूम की तरफ़ बाढ़ चला. अंदर घुसते ही मैने देखा कि दीदी अपने बेड पर पेट के बाल लेटी हुई है..उनके बाल खुले हुए एक साइड मे लहरा रहे है .उस वक्त उन्होने पाजामा और टी शर्ट पहना हुआ था.और वो कुछ लिख रही थी. पता नही क्यू अब जब भी मैं दीदी को अकेले मे देखता था तो मेरे दिल मे कुछ कुछ होने लगता था.मैने अपना स्कूल बॅग मेज पर रखा ..
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“आ गये सर..कितनी देर लगा दी” दीदी लिखती हुई बोली.
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“सॉरी दीदी..टाइम थोड़ा ज़्यादा लग गया” मैने जवाब दिया.
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“चल कोई बात नही…” दीदी उठकर बैठ गयी
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“यार ..सर मे बहुत दर्द हो रहा है..तू एक काम करेगा” दीदी अपने माथा सहलाते हुए बोली
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“जी .दीदी …”मैं उत्सुकता से बोला
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“मेरे सर की मालिश कर देगा क्या”
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मेरी तो मानो लौटरी ही लग गयी ..कब से मे दीदी के उन लंबे खूबसूरत सिल्की बालो को छूना चाहता था. मैं फॉरन तैयार हो गया.
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“ओह्ह मेरे राजा भाई” दीदी मुस्कुराती हुई अपने बेड से उठी. और मेरे बॅड के पास नीचे बैठ गयी.मैं बेड पर बैठा था फिर मैने अपने टाँगे थोड़ी खोली और उनके बीच दीदी बैठ गाएे . मेरी टाँगे दीदी के साइड मे दोनो तरफ़ थी.दीदी को इतना पास देख मेरा दिल धड़कने लगा..
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“दीदी…तेल..कहा है” मैं थोड़ा हकलाता हुआ बोला. मैं नर्वस हो गया था इसलिए हकला रहा था शायद.
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“अरे बिना तेल के कर दे यार” दीदी बोली फिर आंटिसिपेशन मे अपने काँपते हुए हाथो को मैने दीदी के बालो मे डाल दिया ..वाह क्या रेशमी बाल थे..उसमे से आती शॅमपू की खुसबु को सूंघते ही मेरे लंड मे हरकत शुरू हो गयी थी.. मुझे अब मानो थोडा थोड़ा नशा होने लगा था .मैने मालिश शुरू कर दी..ग्रिप अच्छी नही बनी तो मैं थोड़ा आगे सरक गया अब दीदी का सर मेरी पॅंट के अंदर खड़े होते लंड के बहुत पास था..तभी मेरी नज़र दीदी के अगले हिस्से पर गयी..और मैने देखा कि टी- शर्ट थोड़ी लूज होने की वजह से दीदी की चूचिया थोड़ी थोड़ी नज़र आ रही थी…ये चुदाई की कहानी आप Dailytoon.in मे सुन रहे हो…
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ये पहली बार था जब मैने उनको इतना पास से देखा था..दीदी ने शायद ब्रा नही पहनी थी..और जैसे जैसे मैं दीदी के सर की मालिश करता मेरे हाथो के प्रेशर से दीदी के साथ साथ उनकी चूचियाँ भी बड़े मादक तरीके से हिल जाती..इस सब से मुझे इतना जोश चाढ़ गया था कि मैने दीदी के सिर को थोड़ा ज़ोर से रगड़ दिया..
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“आआआ..ह…आराम से कर ..अनुज.र” दीदी बोली मुझे तो मानो नशा हो गया था.. मुझे फिर याद आया कि कैसे राज दीदी को देख रहा था….आख़िर वो दीदी को ऐसे क्यो देख रहा था..फिर मुझे हर उस आदमी की याद आई जो दीदी को घूरते रहते थे..वो खूबसुर्रत लड़की जिससे सब बात करने के लिए भी तरसते थे अभी मेरे इतनी पास बैठी है..इन्सब बातो मे मैं ये भी भूल गया था कि वो मेरी बड़ी बहन है..वासना मुझ पर हावी हो चुकी थी..तभी
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मुझे एक आइडिया आया मैने फिर दीदी के बालो को इकट्ठा कर अपने राइट हॅंड मे भर कर अपने पॅंट मे खड़े होते लंड की उप्पर डॉल दिया..फिर मैं दीदी के रेस्मी बालो को उसपर रगड़ने लगा. ” अरे दोनो हाथो से कर ना…” दीदी अपनी बंद आखो को थोड़ा खोलते हुए बोली. फिर.एक दो बार मैने दीदी के सिर को मालिश के बहाने पीछे कर अपने खड़े लंड पर भी लगाया..मैं बस झड़ने ही वाला था कि ..चाची रूम मे आ गयी..
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“क्या बात है बड़ी बहन की सेवा हो रही है” चाची हमारे पास आते हुए बोली. मेरा सारा मज़ा किरकिरा हो गया था..
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“मम्मी ..सच मे अनुज बहुत अच्छी मालिश करता है…आपसे भी अछी..हा हा हा”दीदी हस्ते हुए बोली
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“अच्छा चलो जल्दी करो खाना लग गया है..दोनो हाथ मूह धोकर नीचे आ जाओ..” चाची बोली
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‘ओके जी “दीदी अपने बालो का जुड़ा बनाते हुए बोली. फिर वो उठ गयी और नीचे जाने लगी.मैने अपने आप को कंट्रोल मे किया और नीचे चला गया. पीछले कुछ महीनो मे मेरा अंजलि दीदी के प्रति नज़रिया बदलने लगा था..अब अंजलि दीदी मुझे अपनी बड़ी बहन लगने के बजाय एक जवान लड़की ज़्यादा लगने लगी थी…पर थी तो फिर भी वो मेरी बहन ही..वो मुझे कितना प्यार करती थी..हमेशा मेरा साथ देती थी..उन्होने मुझे सग़ी बहन से भी ज़्यादा प्यार दिया.. .मेरा उनके बारे मे गंदा सोचना पाप था….नही नही से सब ग़लत है
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मेरा दिल आत्म ग्लानि से भर गया…..पर अगर कोई और ये सब दीदी के साथ करे तो..कोई अंजान..जिसका दीदी से रिश्ता सिर्फ़ लंड और छूट का हो तो..ये सोचते ही मेरे अंदर का शैतान जागने लगा…मुझे फिर वो बॅंक वाली घटना याद आई …और राज का उस तारह से दीदी को देखना … जून का महीना था मेरे एग्ज़ॅम्स ख़तम हो चुके थी पर दीदी के फाइनल एअर के एग्ज़ॅम चल रहे थे.दीदी ज़्यादा तर अपने रूम मे पढ़ती रहती थी..
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एक दिन मैं घर के बाहर खड़ा कुछ समान ले रहा था..दुक्कान घर के सामने रोड के दूसरी तरफ़ थी ..हमारे घर की एक साइड कुछ खाली जगह पड़ी हुई थी..मैने देखा उस खाली जगह पर एक अधेड़ उम्र का आदमी पिशाब कर रहा था….जैसा कि इंडिया मे अक्सर होता है ..कि जहा खाली जगह देखो बस उस को टाय्लेट बना लो..वैसे तो सब कुछ नॉर्मल था..पर तभी मैने देखा को वो आदमी पिशाब करता करता बार बार उप्पर देख रहा है…पर वो उप्पर क्यो देख रहा था…
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खैर कुछ देर बाद वो आदमी वाहा से चला गया..मैं भी घर आ गया ..समान चाची को देकर मैं सीधे उप्पर रूम मे गया जहा दीदी पढ़ रही थी…दीदी तो रूम मे नही थी..पर मैने देखा के रूम की खिड़की खुली हुई है..वो खिड़की उस खाली पड़े हिस्से की तरफ मे खुलती थी…मुझे कुछ शक हुआ ..और मैं खिड़के को बंद करने के लिए आगे बढ़ा. ..मैने खिड़की से नीचे झाँका तो मुझे वो जगह सॉफ सॉफ नज़र आई जहा उस आदमी ने पिशाब किया था..पर मुझे ये समझ नही आया कि वो बार बार उप्पर क्यो देख रहा था..
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तभी मेरे दिमाग़ की घंटी बजी..क्या इस खिड़की पर अंजलि दीदी खड़ी थी…ये सोचते ही मेरे लंड मे एक कसक सी उठी…पर बिना किसी सबूत के मैं कैसे दीदी पर शक कर सकता हू..अब मैने प्लान बनाया कि मैं ये जान कर ही रहूँगा..अगले दिन मैं फिर उस दुकान पर खड़ा था पर इस बार मेरा माक़साद समान लेना नही था..ठीक शाम को 6 बजे वो बुढ्ढा अंकल पेशाब करने के लिए उस कोने की तरफ़ बढ़ा.उसकी चाल से लगता था कि वो एक शराबी है ..
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वो थोड़ा एडा तेरछा चल रहा था..फिर वो पेशाब करने लगा. यही मोका था मैं तुरंत जल्दी से घर के अंदर गया और उप्पर रूम की तरफ़ जाने लगा..रूम का दरवाजा बंद था हालाकी कुण्डी नही लगी थी शायद अंदर से..अंदर क्या हो रहा होगा इस आशा मे मेरा हाथो मे पसीना आ गया था …काँपते हाथो से मैने रूम का दरवाजा हल्का सा खोला और अंदर चुपके से झाका..अंजली दीदी खिड़की के पास खड़ी थी..और उनका एक हाथ टी-शर्ट के उप्पर से अपनी बाई चूची को हल्के हल्के सहला रहा था..
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और उनका दूसरा हाथ जिसमे दीदी ने पेन पकड़ा हुआ था उसको पजामि के उप्पर से शायद अपनी चूत पर गोल गोल घुमा रही थी.. दीदी लगातार खिड़की से नीची झाँक रही थी ..चेहरा..शरम से लाल था..उनके चेहरे पर वासना छाई हुई थी…फिर दीदी थोड़ा और आगे की तरफ़ झुक गयी जिससे अब उनके बॅक प्युरे तरह से मेरे सामने थी ..तभी मैने देखा की उन्होने अपना नीचला हिस्सा हिलाना शुरू कर दिया है..वो अपने नीचले हिस्से को नीचे देखते देखते दीवार पर रगड़ने लगी थी….
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पता नही क्यो ये सब देखते देखते मेरा हाथ पॅंट के उप्पर से मेरे लंड पर चला गया ये सब देख मेरा लंड इतना टाइट हो चुका था कि जितना पहले कभी नही हुआ था ..और मैं मूठ मारने लगा…अच्छा था उस वक्त घर मे और कोई ना था..नही तो मैं पकड़ा जा सकता था…अब ये पक्का हो गया था कि दीदी भी सेक्स की इच्छुक हो गयी है.. तभी दीदी ज़ल्दी ज़ल्दी अपना नचला हिस्सा दीवार पर रगड़ने लगी और उनके हाथ अब ज़ोर ज़ोर से अपनी कड़क हो चुकी चूची को दबाने लगे.