Maa ki group chudai

ये कहानी मेरी माँ, मोहिनी के बारे में है – 40 साल की उमर, फिगर 42-34-44, बड़े-बड़े रसीले चूचे, मोटी गांड, और एक ऐसा बदन जो किसी के भी लंड को खड़ा कर दे!मां, जो एक कोचिंग इंस्टीट्यूट में टीचर थी, उसके पास्ट लवर, विक्रम, शहर में वापस आया, उनका पिचा किया, इमोशनली मैन्युपुलेट किया, और जबरदस्ती चुदाई के बाद उनको अपना बनाया। विक्रम ने कहा था वो विदेश जा रहा है, पर एक महीने बाद वो वापस आया – इस बार अपने दोस्त रोहन के साथ – और माँ को एक थ्रीसम चुदाई के लिए मजबूर किया।

एक दिन, शाम के 7 बजे, मां इंस्टिट्यूट से वापस आई – उन्हें एक मैरून साड़ी पहननी थी, ब्लाउज टाइट था, चुचियां उबर के दिख रही थी, गांड साड़ी में टाइट और मटक रही थी। वो खाना बनाने लगी जब दरवाजे पर दस्तक हुई।
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मां ने दरवाजा खोला – विक्रम खड़ा था, एक काली टी-शर्ट और जींस में, मस्कुलर बॉडी, आंखों में वही शरारती चमक। उसके साथ एक और आदमी था – रोहन, 40 साल का, थोड़ा पतला, गोरा, चश्मा पहने, पर एक गन्दी मुस्कान के साथ। माँ का चेहरा सफ़ेद पड़ गया, “विक्रम? तुम वापस आ गए? तुमने तो कहा था विदेश जा रहे हो!” विक्रम ने एक घमंडी मुस्कान दी, “मोहिनी, विदेश का प्लान कैंसिल हो गया – मैं तुझे भूल नहीं सका, इसलिए वापस आया। ये मेरा दोस्त रोहन है – हम दोनो तुझे आज मजा देंगे!” माँ घबरा गई, “ये क्या बकवास है? मैं शादी-शुदा हूँ, चला जा – और ये आदमी कौन है?” रोहन ने माँ को घूरा – उनकी चुचियाँ, गांड – और बोला, “मोहिनी जी, विक्रम ने तेरी चूत और गांड के बारे में बताया – हम दोनो तुझे चोदेंगे, तैयार हो जा!”
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माँ रोटी हुई बोली, “विक्रम, ये गलत है – मैं सिर्फ तेरी वजह से चुदी थी, पर दो लोग? नहीं, मैं ये नहीं करूंगी!” विक्रम ने माँ का हाथ पकड़ा, “मोहिनी, तू मेरी रंडी है – एक बार फिर से मेरा प्यार देख, रोहन भी तुझे खुश करेगा। वरना मैं तेरे पति और बेटे को सब बता दूँगा!” मां के आंखों में आंसू आ गए – वो डर गई, उन्हें अपनी इज्जत और परिवार की फिक्र थी। वो बोली, “विक्रम, प्लीज़ – मुझे मत मजबूर कर, मैं एक औरत हूँ!” विक्रम ने उनके कान में बोला, “मोहिनी, तू मेरी जान है – बस एक बार, फिर मैं चला जाऊंगा। रोहन के साथ मजा दे, हम तुझे प्यार देंगे!” माँ तड़प रही थी – उनका दिल शर्म से भरा था, पर विक्रम का इमोशनल ब्लैकमेल और पुराना प्यार उन्हें कामज़ोर कर रहा था। आख़िर में, रोटी हुई, उन्हें हाँ बोल दिया, “ठीक है, विक्रम – पर ये आखिरी बार है। जल्दी करो, मेरा बेटा घर पे है!”
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विक्रम और रोहन ने माँ को लिविंग रूम में सोफ़ा पे ले लिया – मैं अपने कमरे में काम कर रहा था, और पापा रात की शिफ्ट में थे। माँ की साड़ी का पल्लू सरका हुआ था – उनकी चुचियाँ ब्लाउज में उबर रही थी, बदन थोड़ी सी कम्पन के साथ गरम था। विक्रम ने मां को सोफे पर बिठाया, उनकी साड़ी खींच दी – ब्लाउज फाड़ दिया, ब्रा उतार दी – उनकी चुचियां आजाद हो गई, बड़े, गोल, निपल्स टाइट। रोहन ने माँ के चेहरे को घूरा, “वाह मोहिनी, तेरी चूचियाँ तो एकदम मस्त हैं – तेरा मुँह मेरा लंड लेगा!” माँ रोटी हुई बोली, “प्लीज़, मुझे शर्म आ रही है – बस जल्दी करो!” विक्रम ने उनकी पेटीकोट उतार दी – माँ पूरी नंगी थी, उनकी चूत गीली थी, गांड टाइट और चमक रही थी।
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विक्रम ने अपनी जींस उतारी – उसका लंड 7 इंच का, मोटा, सुपाड़ा लाल – और बोला, “मोहिनी, तेरी चूत मेरा लंड लेगा – अब तैयार हो जा!” रोहन ने भी पैंट उतारी – उसका लंड 6 इंच का, पटला पर तन हुआ – और माँ के मुँह के सामने रखा, “चूस रंडी, तेरा मुँह मेरी चूत का गुलाम है!” माँ रोटी हुई बोली, “नहीं, मैं दो लोगों के साथ नहीं करूंगी!” पर विक्रम ने उनके बाल पकड़ लिए, “चुप साली, तू मेरी रंडी है – अब चूस!” उसने माँ को सोफे पर लिटाया – जोड़ी चौड़ा किये – लंड चूत पे रखा, और एक ज़ोरदार धक्का मारा – पूरा लंड अंदर घुस गया। माँ चीख उठी, “आह, विक्रम, मेरी चूत फट गई – धीरे कर!”
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उसने कहा, रोहन ने मां का मुंह पकड़ा – जमीन उनके होठों पे रगड़ा – और मुंह में घुसा दिया। माँ का गला दब गया, “आह, रोहन, निकल दो – मैं सांस नहीं ले पा रही!” विक्रम ने तेजी से चूत चोदना शुरू किया – थप-थप-थप की आवाज़ गूँज रही थी – और बोला, “मोहिनी, तेरी चूत तो एकदम गरम है – इसको फाड़ दूँगा!” रोहन ने माँ के बाल खींच के लंड मुँह में पेल दिया, “चूस कुतिया – तेरा मुँह मेरा रस लेगा!” माँ तड़प रही थी – उनकी चूत विक्रम के लंड से चुद रही थी, मुँह रोहन के लंड से भरा था – वो रोटी हुई बोली, “आह, बस करो – मेरी चूत में आग लग गई है!” 15 मिनट तक ये चला – विक्रम ने चूत चोदी, रोहन ने मुँह – माँ सिसकियाँ ले रही थी, “आह, दर्द हो रहा है – बस करो!” पर दोनों रुकने वाले नहीं थे.
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विक्रम ने माँ की चूत से लंड निकाला – उनकी चूत लाल और गीली थी, रस टपक रहा था। रोहन ने बोला, “विक्रम, अब मैं इसकी चूत का रस पीऊंगा – तू इसका मुँह चोद!” माँ बोली, “हा चोद साले मुझे आह्ह्ह्ह माई रंडी हू एक अह्ह्ह्हह्ह” विक्रम ने माँ को सोफे पर लिटाया – उनकी चूत के पास रोहन बैठ गया, और विक्रम ने माँ का मुँह अपने लंड के सामने रखा। रोहन ने माँ की चूत पर अपनी जीभ रखी – धीरे-धीरे चाटना शुरू किया – उनकी चूत का रस उसके मुँह में जा रहा था। माँ सिसकियाँ ले रही थी, “आह, रोहन और ज़ोर से अह्ह्ह्हह्ह चूस ले मेरा पानी अह्ह्ह्ह उफफफ्फ़!” रोहन ने उनकी चूत के होठों को खोला, जीभ अंदर घुसा दी, और ज़ोर से चूसा – माँ का बदन कंप गया, “आह, रोहन, ये क्या कर रहे हो – मुझे मज़ा आ रहा है!”
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उसी वक्त विक्रम ने अपना लंड माँ के मुँह में पेल दिया – पूरा 7 इंच का लंड उनके गले तक घुस गया। माँ चीखना चाहती थी, पर मुँह बंद था – वो सिसकियाँ ले रही थी, “आह, विक्रम, निकल दो सांस नहीं आ रही है!” विक्रम ने उनके बाल पकड़ लिए, “चुप रंडी, तेरा मुँह मेरे लंड के लिए ही बना है – चूस ज़ोर से साली रांड छिनाल!” रोहन ने 10 मिनट तक माँ की चूत चाटी – उनकी चूत से रस तपाक-तपाक के सोफे पर गिर रहा था – माँ रो रही थी, पर मजा भी ले रही थी, “आह, रोहन, बस कर – मैं झड़ जाऊँगी!” विक्रम ने मुँह चोदना जारी रखा – माँ का मुँह थूक और रस से भर गया। रोहन ने आख़िर में माँ की चूत पर एक चुंबन किया, “मोहिनी, तेरी चूत का रस एकदुम मीठा है – अब तुझे चोदूँगा!”
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रोहन ने माँ को सोफे पर घोड़ी बनाया – उनकी मोटी गांड हवा में थी, चूत लाल और गीली – और अपना 6 इंच का लंड चूत पर रखा। माँ रोटी हुई बोली, “रोहन, मेरी चूत का भोसड़ा बना दे! गरम हो गई हूँ एक दम जब तक नाक आहु रुकना नहीं भडवे!” रोहन ने उनकी गांड पर थप्पड़ मारा – लाल निशान बन गया – और बोला, “चुप कुतिया, तेरी चूत को मैं फाड़ दूंगा, तू मत बता क्या करना रंडी – अब फाड़ दूंगा!” उसने एक ज़ोरदार धक्का मारा – पूरा लंड अंदर घुस गया – माँ चीख उठी, “आह, रोहन, मेरी चूत फट गयी – धीरे कर!” रोहन ने तेजी से चोदना शुरू किया – हर धक्का रफ, थप-थप-थप की आवाज गूंज रही थी। विक्रम साइड में खड़ा था – अपना लंड हिलाते हुए – और बोला, “रोहन, इसकी चूत का भोसड़ा बना दे – ये मेरी रंडी है!”
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माँ तड़प रही थी, “आह, रोहन, धीरे करो – मेरी चूत जल रही है!” पर रोहन ने उनकी कमर पकड़ ली, “साली, तेरी चूत तो एकदम टाइट है – इसको चौड़ा कर दूंगा!” उसने 20 मिनट तक चोदा – माँ रो रही थी, पर उनकी चूत गीली थी, मज़ा भी आ रहा था, “आह, रोहन, बस कर – मैं थक गयी!” रोहन ने उनकी गांड पर थप्पड़ मारे, “रंडी, थकेगी नहीं – तेरा बदन मेरा है!” विक्रम ने बोला, “रोहन, अब इसके चेहरे पर झड़ते हैं – इसका मुँह हमारा रस लेगा!”
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-रोहन ने माँ की चूत से लंड निकाला – उनकी चूत लाल और रस से भर गई थी। विक्रम और रोहन ने माँ को सोफे पर घुटनो के बाल बिठाया – उनकी चुचियाँ लटक रही थी, बदन पसीने से गीला, चेहरा आंसुओं और थूक से भर गया। विक्रम ने अपना लंड माँ के चेहरे के सामने रखा, “मोहिनी, अब तेरा चेहरा हमारा रस लेगा – अपना मुँह खोल!” माँ रोटी हुई बोली, “नहीं विक्रम, ये गंदा है – मुझे छोड़ दो!” पर रोहन ने उनके बाल पकड़ लिए, “चुप रंडी, तेरा चेहरा हमारा टॉयलेट है – अब हमारा माल पी जा!”
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विक्रम और रोहन ने अपना लंड हिलाना शुरू किया – विक्रम का 7 इंच का लंड और रोहन का 6 इंच का लंड माँ के चेहरे के सामने था। माँ रो रही थी, “आह, बस करो – मुझे शर्म आ रही है!” पर विक्रम ने बोला, “रंडी, शर्म छोड़ – तेरा चेहरा हमारे रस के लिए है!” 5 मिनट बाद दोनों झड़ गए – विक्रम का गरम माल माँ के चेहरे पे, होठों पे, और आँखों पे गिरा – रोहन का माल उनके मुँह पे और चुचियों पे टपक गया। माँ चीख उठी, “आह, ये क्या किया – मेरी आँखें जल रही हैं!” वो रोटी हुई सोफे पर गिर पड़ी – चेहरा रस से भर गया, बदन थक गया।
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विक्रम और रोहन ने अपने कपड़े पहने – विक्रम ने माँ को बोला, “मोहिनी, तू एकदम मस्त रंडी है – अगली बार फिर आएंगी!” माँ रोटी हुई बोली, “विक्रम, बस कर – मुझे छोड़ दो, मैं अपने परिवार के साथ धोखा नहीं कर सकती!” रोहन ने हसके बोला, “मोहिनी, तू हमारी गुलाम है – जब चाहे, छोड़ेंगे!” डोनो चुपके से घर से निकल गए। माँ ने जल्दी से नहा लिया – उनकी सारी फटी हुई थी, चेहरा लाल, आँखें आंसुओं से भारी। वो खाना बनाने लगी, पर उनकी तड़प साफ दिख रही थी – शरम, गुनाह, और चुदाई के मजे का मिलाजुला एहसास।

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